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Father's Day
Father's Day

Father's Day

पिता ये शब्द सुनते ही हमारे मन में कई भाव आते हैं, प्रेम, सम्मान, डर, ताकत, उम्मीद, हिम्मत और न जाने क्या क्या। पिता होते ही ऐसे हैं। आज का एपिसोड बेहद खास है क्योंकि हम बात करने जा रहे हैं हमारे जीवन के उन नायकों की, जिन्हें हम अपने पिता के नाम से जानते हैं। जी हां, आज फादर्स डे है और हमारा आज का यह खास पॉडकास्ट सभी पिताओं को समर्पित है। पिता का हमारे जीवन में एक अनमोल स्थान होता है। वे हमारे पहले शिक्षक, हमारे सबसे बड़े समर्थक और हमारे आदर्श होते हैं। आज हम उनकी जीवनभर की मेहनत, त्याग और अटूट प्रेम को सेलिब्रेट कर रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि फादर्स डे की शुरुआत कैसे हुई? फादर्स डे का इतिहास काफी दिलचस्प है। सबसे पहले इसे 1910 में अमेरिका के वॉशिंगटन में मनाया गया था। इसकी शुरुआत एक महिला, सोनारा स्मार्ट डॉड ने की थी, जिन्होंने अपनी मां के निधन के बाद अपने पिता को सिंगल पैरेंट के रूप में पाकर इस दिन को समर्पित किया। पिता, मान, स्वाभिमान और अभिमान है। पिता एक उम्मी

Available Episodes 10

In this exclusive interview, Dr. Navneet Anand, Director and Founder of GreyMatters Communications, takes us behind the scenes of their latest campaign, #ImagekiRaksha.

Learn about the journey behind securing a registered trademark for the company and how GreyMatters has adapted to the evolving PR landscape.

Dr. Anand also shares insights on the free 5-hour social media training module designed for small businesses, offering invaluable strategies for image management.

Tune in to gain deep insights into the power of reputation management and how GreyMatters is leading the charge in this space.

#ImagekiRaksha

#GreyMattersCommunications #PRIndustry #ReputationManagement #SmallBusinessSupport #NavneetAnand

#RakshaBandhan 👭💕


In the age of trollers, WhatsApp warriors, and social media pranksters, keeping your #reputation intact can be a wild ride! That's where we come in.


For 14 years, GreyMatters has been the knight in shining armor for brands, guarding reputations with expert finesse. This Rakshabandhan, as you celebrate the festival of bonding, we renew our vow to ensure #ImageKiRaksha for our partners.


And because we can't resist a good campaign, we're launching #ImageKiRaksha! 🛡️


Stay tuned for some fun, exciting, and clever lessons to keep your #brand shining bright. Remember, your dream is ours - so we bring you some serious (and seriously fun) brand protection ideas through examples!


Listen to our exclusive podcast 📻

Life doesn't come with a manual, it comes with a mother. And how true it is! Today we celebrate the incredible journey of motherhood, today we celebrate mothers.


मां ~ ये एक अक्षर संपूर्ण सृष्टि के बराबर माना गया है। वाल्मीकि रामायण में भगवान राम ने कहा है “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसि।” यानी मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है। इस एक अक्षर का संबोधन पूरी सृष्टि का श्रेष्ठ संबोधन है, इस एक संबोधन में मानव जीवन के लिए जरूरी सारे भाव हैं ~ प्रेम, अपनापन, करुणा।


मां एक सुखद अनुभूति है, एक शीतल आवरण की तरह जो हमें हर परेशानी, दुख, चिंता से बचाने को कोशिश करती है। मांओं का होना, हमें जीवन के हर लड़ाई से लड़ने की ताकत देता है। मां जिंदगी का विश्वास होती है, मां जीवन का संबल होती है, सराहा होती है, मां जीवन की आस होती है, मां ही तो जीवन का सार होती है।


मुन्नवर राणा की एक शेर है ~

चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है

मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है


और सच में उपमाओं से परे है मां, शब्दों में उसकी व्याख्यान करना संभव नहीं।


मां होने का अर्थ ख़ुद मां बनने के बाद पता चलता है, देखने से मातृत्व आसान जरूर लगता है, पर सच में ऐसा नहीं होता है। जब छोटे थे तो लगता था कि क्यों मां छोटी छोटी चीजों पे बोलती है, मां को अक्सर कहते थे कि अब हम बच्चे नहीं हैं, बड़े हो गए हैं, अपना ध्यान रख सकते हैं। कई सवाल और शिकायत थे मां के लिए, अब जब खुद मां बन गए हैं तो सारे शिकायत और सवाल खत्म होंगे। खुद मां बनने के बाद आप अपनी मां को ज्यादा बेहतर समझते हैं।


याद कीजिए, आपके जन्मदिन या त्योहारों में मां की बनाई वो मिठाई या छोले ~ आप किसी भी फाइव स्टार में चले जाएं, मां के हाथ का स्वाद नहीं मिल पाएगा। मां के हाथों की बनी हुई स्वेटर में हम कितने सुंदर लगते थे, और याद है कहीं जाने से पहले मां का हम सबको काला टीका लगाना ताकि नजर न लगे। ये माएं भी न कमाल होती हैं। अगर आप इनके लिए कुछ छोटी सी चीज भी कर देंगे न तो ये ऐसे खुश होती जैसे पता नहीं क्या हो गया।


आप जब घर से दूर होते हैं तो ये आपके एक कॉल का इंतजार पूरे दिन करती हैं, आपके सलामती के लिए हर रोज मन्नते मांगती हैं, प्रार्थना करती हैं। मां अनमोल है। जब तक जीवन में मां का साथ है, उनके साथ समय बिताए, बातें करें, हंसे।


और हां मां को सेलिब्रेट करने के लिए सिर्फ एक दिन नहीं है, हार्बडिन मां का है क्योंकि हम भी तो उनसे ही हैं।


और अंत में मेरी लिखी एक छोटी सी कविता ~


जिंदगी की तेज़ धूप में मेरी छांव मां

बारिश में छाता सी मां

गर्मी में हाथ वाली पंखा मां

मेरा पहली बोली मां

मेरी हंसी ठिठोली मां

मेरा आंगन मां

मेरा बचपन मां

मेरी पहली गुरु मां

परियों और जादू वाली दुनिया मां

आंखों में सपने संजोने वाली मां

उपमाओं से परे मां

शब्दों की माला में न बंधने वाली मां

मेरी लंबी उम्र के लिए मंत्रों का जाप मां

पानी सी निश्छल मां

सबसे प्यारी मेरी मां


Happy Mother's Day! THANK YOU

Tune in to our latest #podcast episode as we celebrate 14 years of our journey. From humble beginnings to impactful campaigns, we're sharing the highs, lows, and lessons learned along the way.



Diving into memories of #Holi celebrations on our latest podcast episode!


From childhood joys to cultural significance, join us for a nostalgic journey filled with laughter, joy and the essence of this festival of colours.


Share your favourite Holi memory with us!


#GreyMatters

Exploring the intricate dynamics between PR & Journalists in the digital age. 🎙️✒️


ये रिश्ता क्या कहलाता है? 🤔


Join our colleague @pragyaranjan1 on the #GreyMatters podcast as she shares pearls of wisdom from our director, Dr @navneetanand. With vast experience in both journalism and PR, Dr Anand offers invaluable knowledge, to thrive in media relations & maintaining an impactful connection, you won't want to miss!

There is no better way to touch the chords of heart than by speaking in our mother tongue.🗣️


Maa, Maiya, Baba, Babuji – sound so earthy, connected & raw.


On #InternationalMotherLanguageDay, immerse yourself in our exclusive podcast.🎙️🎧


Share your mother tongue with us in the comments box. ✉️

We dive deep into another episode of 'Triumphs Unveiled', where we unravel the extraordinary journey of young cricketer Yashasvi Jaiswal.

नमस्कार, आप सभी का ग्रेमेटर्स पोडकॉस्ट में स्वागत है।


आज सरस्वती पूजा है और आप सभी को शुभकामनाएं। वैसे आपको अपना बचपन याद है जब सरस्वती पूजा का बेसब्री से इंतजार रहता था। इसकी तैयारी में हम चार पांच दिन पहले से लग जाते थे। शुरुआत होती थी मोहल्ले में घर घर जा कर चंदा इक्कट्ठा करने से। सरस्वती पूजा की तैयारी में सारी सारी रात जागना, नई नई साड़ियों से मंडप को सजना, आधी रात तक मंडप में मूर्ति लाना, फिर उसे सजाना, और पूजा के दिन सुबह से ही प्रसाद काटने में लग जाना, कितना कुछ होता था सरस्वती पूजा में! सभी बच्चे अपने अपने तरीके से लगे रहते थे। और इस दिन हमें पढ़ाई से भी छुट्टी मिल जाती थी। जो सबसे टफ सब्जेक्ट होता था, हम वही किताबें मां शारदे के आगे रखते थे ताकि हम अच्छे नंबर आए।


सरस्वती पूजा बचपन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके साथ ही एक nostalgia का भी अहसास है। यह त्योहार न केवल शिक्षा की महत्ता को उजागर करती है, बल्कि बचपन के खुशी और उत्साह को भी साकार करती है। सरस्वती पूजा के दिन बच्चों को विद्या की देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उनकी पढ़ाई और सीखने में उत्साह बढ़ता है। इस दिन के उत्सव में विद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जो बच्चों को विद्या के महत्व को समझने में मदद करती हैं और उन्हें बचपन की यादें संजोने का मौका देती हैं।


आज भी कमोबेश स्थिति यही है। बेर, गाजर और शकरकंद के बिना पूजा आज भी नहीं होती, आज भी बच्चे कॉपी-कलम चढाते हैं मां सरस्वती की प्रतिमा पर। ये अलग बात है कि किताब कॉपी की संख्या कम हो गई है। अब युवाओं के बीच में मोबाइल और लैप टाप का क्रेज है। हाथ से पेन ओर पेपर छूटता है, दुनिया पेपरलेस कार्य की ओर बढ़ चली है।


वैसै तकनीक क्रांति के बावजूद सरस्वती पूजा युवाओं के बीच आज भी काफी लोकप्रिय है। चौक चौराहों और घरों में मां सरस्वती की मूर्ति की स्थापना करके उनकी पूजा अर्चना करने में की परंपरा आज भी चल रही है। सुबह से ही शुद्ध जल से स्नान करने के बाद युवक-युवतियों की अलग अलग टोलियां मां सरस्वती के दर्शन के लिए पंडालों में जमा होने लगती है।


बसंत ऋतु की शुरुआत सरस्वती पूजा से ही होती है। शायद यही वजह है कि लोग इस दिन पीले रंग का वस्त्र धारण करके पूजा पाठ करने के लिए घर से निकलते हैं।


इस दिन का इंतजार हर उस व्यक्ति को रहता है जो मां सरस्वती का उपासक है, जो कला और संस्कृति की उन्नति के लिए निरंतर प्रयत्नरत है, जो पूरी तरह से ज्ञान और विज्ञान के प्रति समर्पित है।

मां सरस्वती को वेदों में कई नामों से पुकारा गया है।

GreyMatters dwells on the touching movie '12th Fail', a story that intricately weaves hope and resilience. It is a tale that embraces probity in both public and private life, echoing the sentiments of a bygone era.